जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट) : Congress internal dispute पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 से पहले कांग्रेस में मचे कलेश के बीच तीन सदस्यीय पैनल ने अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंप दी है। सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में कैप्टन को न हटाने की बात कहते हुए नवजोत सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाने की संभावना की बात कही गई है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन अगर नवजोत सिद्धू डिप्टी सीएम बनते हैं तो क्या कलह खत्म हो जाएगी। अब अगर डिप्टी सीएम बनने के बाद सिद्धू के सियासी हमले कैप्टन पर नहीं होंगे तो लोगों के मन में यह सवाल यह जरूर पैदा होगा कि सिद्धू ने सिर्फ डिप्टी सीएम के पद के लिए विरोधी सुर अपनाए हुए थे।
हालांकि जब से सिद्धू दिल्ली से आए हैं उन्होंने कैप्टन सरकार पर हमले नहीं किए लेकिन परगट सिंह अपने बयानों से कैप्टन सरकार को घेरते रहते हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर नई बहस छिड़ गई है। बहस का विषय है कि क्या नवजोत सिद्धू और परगट सिंह पंजाब की जनता को बेवकूफ बना रहे हैं। सवाल उठाने वालों का यहां तक कहना है कि सिद्धू को जब स्थानीय निकाय मंत्री बनाया गया था तब इन्होंने जालंधर दौरे के दौरान जो कुछ किया वे सब फिर वैसे ही बन गया जिसको ढहाने के आदेश सिद्धू ने दिए।
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हरीश रावत का इशारा, परगट सिंह पर हो सकती है अनुशासनहीनता पर कार्रवाई
Congress internal dispute एक मंत्री होने के बावजूद सिद्धू को जालंधर के ही एक विधायक के सीधे विरोध का सामना करना पड़ा और वे कॉलोनी भी नहीं गिरी जिसको सिद्धू गिराने आए थे। इसके अलावा परगट सिंह के खिलाफ पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत का कहना है कि उन्हें सार्वजनिक मंच पर अपनी ही सरकार के खिलाफ नहीं बोलना चाहिए। उनका बोलना अनुशासनहीनता है और अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जनता के मन में कहीं न कहीं यह सवाल यह भी पैदा हो रहे हैं सिद्धू और परगट सिंह ने पंजाब की जनता के लिए साढ़े 4 साल में क्या किया है जिसका वह ढिंढोरा पीट रहे हैं। कभी अकाली दल और कभी कैप्टन सरकार के खिलाफ मुखर होने वाले सिद्धू व परगट जनता के भले के लिए कब सोचेंगे।
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